भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

आग हुई सेज / कुमार रवींद्र

Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 10:51, 11 जुलाई 2011 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार= कुमार रवींद्र |संग्रह=आहत हैं वन / कुमार रवींद्…)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

अँजुरी के फूल जले
            आग हुई बेला की सेज
 
बाबू की आसीसें
अम्मा की सीख
गौरा के व्रत
सीता मइया की लीक
 
मैके ने दिए बड़े प्यार से सहेज
 
धोबिन का सत
भोले भैया की लाई
मँडवे के तले बजी
मीठी शहनाई
 
सब कुछ तो दिया साथ पीहर ने भेज
 
सुखी रहे
माथे का सिंदूरी ठाँव
बदले में रेहन हुआ
है सारा गाँव
 
पूरा पर हुआ नहीं साँस का दहेज