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बहुत कुछ कहना चाहती हूँ तुमसे / स्मिता झा

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बहुत कुछ कहना चाहती हूँ तुमसे....
अगर मेरी बातें,
बातों में छुपी नंगी सच्चाई
मिडिल क्लास की न लगे...
हाई सोसाइटी की
रंगबिरंगी नंगी रोशनी में
अपने बदन की नंगी नुमाइश
करती हुई.........
अश्लीलता की हद तक
एक न्गी मुस्कान के रंगीन पन्नें
बिखराती हुई ....
आखिर तुम क्या साबित करना चाहती हौ
..............?

कभी .....इस बाजार के
गलीज अंधेरे में
अपनी सिसाकती बेबसी के
किस्से सुनाती हुई
दर्द ‌और घुटन की
एक अन्तहीन खोह में
पीली तितली सी उड़ती हुई
हवाओं को रूलाती थी........

और आज.........
बोल्ड एंड ब्यूटीफुल
बनकर
कामसूत्र के विज्ञापन में
इस तरह से
नजर आती हो
जैसे..............