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भए अति निठुर / घनानंद
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- कवित्त
- कवित्त
भए अति निठुर, मिटाय पहचानि डारी,
- याही दुख में हमैं जक लागी हाय हाय है।
- याही दुख में हमैं जक लागी हाय हाय है।
तुम तो निपट निरदई, गई भूलि सुधि,
- हमैं सूल सेलनि सो क्योहूँन भुलाय है।
- हमैं सूल सेलनि सो क्योहूँन भुलाय है।
मीठे मीठे बोल बोलि ठगी पहिलें तौ तब,
- अब जिय जारत कहौ धौ कौन न्याय है।
- अब जिय जारत कहौ धौ कौन न्याय है।
सुनी है कै नाहीं, यह प्रगट कहावति जू,
- काहू कलपायहै सु कैसे कल पायहै।। 7 ।।
- काहू कलपायहै सु कैसे कल पायहै।। 7 ।।