Last modified on 20 जुलाई 2011, at 01:31

चाँदनी वन के बीच खिली / गुलाब खंडेलवाल

Vibhajhalani (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 01:31, 20 जुलाई 2011 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)


चाँदनी वन के बीच खिली

मुख पर झीना अंचल खींचे
सकुच नयन-पंखड़ियाँ मींचे
खड़ी आम्र के तरु के नीचे
हँसती हुई मिली

पलकें उठीं, मिले युग लोचन
झुके अधर, थर-थर काँपा तन
कूक उठी पिक, गूँजा मधुवन
शाखा तनिक हिली

प्रथम मिलन-परिणय-मधु-पूरित
हुई विदा जब प्रात मंद-स्मित
अरुण कपोलों पर थी अंकित
प्रेम-भेंट पहली

चाँदनी वन के बीच खिली