भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

स्‍त्री अबोली / माया मृग

Kavita Kosh से
आशिष पुरोहित (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 12:15, 20 जुलाई 2011 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=माया मृग |संग्रह= / माया मृग }} {{KKCatKavita‎}} <Poem> स्‍त्री …)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज


स्‍त्री बोली- ना...(वह बोला नखरे दिखाती है साली....)
स्‍त्री बोली- हां (वह बोला चालू है यार....)
स्‍त्री चूप रही (वह जाने क्‍या क्‍या बोल रहा है अब तक....)