भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
उतरना तभी तो होगा / नंदकिशोर आचार्य
Kavita Kosh से
आशिष पुरोहित (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 13:15, 21 जुलाई 2011 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=नंदकिशोर आचार्य |संग्रह=बारिश में खंडहर / नंदकि…)
घिरी है तूफान में यह नाव
और नाखुदा
बस एक तुम ही हो।
पर सुनो !
उतरना तभी तो होगा
जब किनारा भी हो।
तभी तुम भी नाखुदा होंगें !
(1994)