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आवाज दो / सुदर्शन प्रियदर्शिनी
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आज तुम
इस शाम
मुझे
इस अंधियारे
में उसी नाम
से पुकारो
जिस नाम से
पहली बार
तुम ने
बुलाया था
ताकि मैं
वही पुरानी
हूक में
डूब कर
सारा मालिन्य
धो कर
तुम्हारी आवाज पर
फिर से
लौट पाउं