भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
थरथराता जल / नंदकिशोर आचार्य
Kavita Kosh से
आशिष पुरोहित (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 13:04, 26 जुलाई 2011 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=नंदकिशोर आचार्य |संग्रह=बारिश में खंडहर / नंदकि…)
बहती हवा जैसी
नीम गन्ध भीनी
ओढ़ कर सोयी तलैया
चाँदनी झीनी
उचट कर जाग जाती है।
वह बुझा कर प्यास
गाजता है
किनारे पर पसर जाता है
अचंचल।
फड़फड़ाते पेड़ !
दुब की चाँदनी !
थरथराता जल !
(1976)