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उस आदमी से प्यार करता हूँ / भारत यायावर

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मैं उस आदमी से प्यार करता हूँ

बहुत गहरे उतर कर चाहता हूँ

जिसके मित्र विरल हैं

शत्रुओं से घिरा हर पल

साधना में रत

तपता हुआ

स्वर-संधान करता है

निंदकों को पास रखता है

चाहता है अनवरत

एक अनगढ़ राह पर चलना

सोचता है

प्यार के वीरान उपवन में

फूल बन खिलना

वेदना के सरोवर में

कमल-सा रहना

मैं उस आदमी को प्यार करता हूँ


(रचनाकाल:1996)