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एक हताश सपना / अनिल जनविजय

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(नाद्या और रोली के लिए)


एक औरत है मेरे देश में

और एक नन्ही लड़की

दोनों मेरी प्रतीक्षा करती हुईं


और मैं यहाँ बेचैन और उदास

इस अजनबी देश में

जहाँ नहीं है एक भी

जानी-पहचानी आवाज़

मेरे आसपास


वह औरत इसी देश की है

रह रही है मेरे देश में

देश निकाला दे दिया है मैंने उसे

निर्वासन में ढकेल दिया है बेटी के साथ

और मैं ख़ुद निर्वासित हूँ इस देश में


हम तीनों अकेले हैं अपने भीतर

तीनों दुख झेल रहे हैं

ज़रूरतों और मुसीबतों में फँसे हम

प्रतीक्षा में हैं उस अच्छे समय की

जब हम साथ-साथ होंगे

किसी एक ही देश में

और निर्वासन नहीं होगी हमारी नियति


(रचनाकाल :1997)