भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
वार्ता:Yade
Kavita Kosh से
Sharad jain (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 18:36, 3 अगस्त 2011 का अवतरण (नया पृष्ठ: वो दिन अब क्यों नहीं आते उन दिनों वो दोस्त मेरे साथ था मेरे हाथ मे …)
वो दिन अब क्यों नहीं आते उन दिनों वो दोस्त मेरे साथ था मेरे हाथ मे उसका हाथ था
वो दिन अब क्यों नहीं आते वो मेरे मन के बहुत पास था उन दिनों मेरी जुबा पर उसका ही नाम था
वो दिन अब क्यों नहीं आते उन दिनों मुझे एक ही काम था उससे ही बात करने मे आराम था वो दिन अब क्यों नहीं आते