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ठा‘ई पड़ै कोनी / हरीश बी० शर्मा
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सैंताळीस रै साल
म्हारो देस
गौरां सूं आजाद हुयो
च्यारूंमेर उछाव मनायो
पतो नीं फेर कद
आथूण सूं आंवती हवा में
रळ-मिळ‘र
अपणायत भूलग्या
अर पाछा
चाकर बणग्या।