भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
पूठो सवाल / हरीश बी० शर्मा
Kavita Kosh से
आशिष पुरोहित (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 14:15, 8 अगस्त 2011 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=हरीश बी० शर्मा |संग्रह=थम पंछीड़ा.. / हरीश बी० शर…)
बाई नैं समझाण दी
....सीख दी, मा -
‘देख बाई .....
सासूजी नैं म्हारै दांई मां समझजै’
बेटी नूंवै जमानै री ही
बात पूछी-
‘कांई सासू म्हारी
म्हनैं
बेटी समझ‘र
राखसी !’