भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
सम्बन्ध / हरीश बी० शर्मा
Kavita Kosh से
आशिष पुरोहित (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 17:24, 8 अगस्त 2011 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=हरीश बी० शर्मा |संग्रह=थम पंछीड़ा.. / हरीश बी० शर…)
मना‘र रिध-सिध नैं
थापना हुई
थरपीज्या गणपति
नेवैद्य-परसादी
दखणा-उच्छब
च्यारूंमेर मनाइज्या,
लोकाचार निभाइज्या,
लैरको आयो
फूट पड़गी
गया जिका कैवत में कैइज्या
गद्दार
दूसरै में रळयां, बणा लियो
नूंवो सरदार
जनता देखी,
फेर एक बार
नूंवी सरकार।
नूंवी सरकार।।