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पत्थर और नदी -1 / सुरेश यादव

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पहाड़ों के पत्थर जब ऊँचाइयों से टूटते हैं तब - पत्थर बहुत 'टूटते ' हैं डूब कर भी नदी में बहना चाहते नहीं धार से जूझते हैं

विरोध करते हैं - पत्थर सागर में समर्पित होने का नदी के साथ

रेशा-रेशा घिस कर तलहटी में बिछ कर जकड़ कर धरती को समर्पित होने से पहले रेत होना बेहतर समझते हैं।