Last modified on 3 अगस्त 2007, at 00:47

धान के खेत / स्वप्निल श्रीवास्तव

अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 00:47, 3 अगस्त 2007 का अवतरण (New page: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=स्वप्निल श्रीवास्तव |संग्रह=ईश्वर एक लाठी है }} वर्षा ...)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)


वर्षा में भींगते हैं

धान के खेत

हरे रंग की साड़ी में भींगती है युवती

युवती के मन के भीतर

युवा हो रहा है हरापन


धान के खेत में हवाओं की तरह

टहल रहे हैं बादल

वर्षा का जल मेंड़ से ऊपर होकर बहता है

धान की फ़सल देखकर

गाँव-गिराँव खेत-खलिहान

बड़े-बूढ़े, बच्चे प्रसन्न हैं


धान के खेत पर महाजन की दृष्टि है


महाजन क्या फ़सल को अपने खलिहान में ले जाएगा?

यह सोचकर उदास हो जाते हैं धान के खेत