भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
चिड़िया -2 / स्वप्निल श्रीवास्तव
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 09:15, 7 अगस्त 2007 का अवतरण (New page: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=स्वप्निल श्रीवास्तव |संग्रह=ईश्वर एक लाठी है }} चिड़ि...)
चिड़िया की आँख में है
पूरा आकाश
उसके पंख में गोलार्द्ध
पृथ्वी से काफ़ी ऊँचाई पर
वह बादलों के बीच
वायुयान-सी उड़ती है
बहेलिया धनुष ताने
अर्जुन की तरह देखता रहता है
चिड़िया की आँख