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कुछ छोटी कुछ बड़ी बात / श्रीरंग
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(पाब्लो नेरूदा के प्रति)
बड़ा कवि
अपने पाठक में भी
कविता के बीज रोपता चलता है
बड़ी कविता
अपने भीतर
अनेक छोटी कविता के बीज रोपती है
बड़ा आदमी
छोटेपन से ऊपर उठ कर ही बनता है बड़ा, साहित्य में
अपने समय का समूचा झूठ भी
उपस्थित होना चाहिए सच की तरह
कोई जीवन आदर्श नहीं
जीवन के अपने आदर्श होते हैं
पाब्लो तुम्हारे जीवन के आदर्श
हमारे जीवन के आदर्श बने
इसी कवायद के साथ कविता लिखता हूँ
जो संभव है कविता ही न हो ....।