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तस्लीमा नसरीन : दो / अग्निशेखर

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उठाए उसने
अभिव्यक्ति के खतरे
उठाया हमने
सिर पर आकाश
उधेडी उसने सीवन
सी लिए हमने होठ

उसने कहा लज्जा !
हमने कहा -
खास नहीं
उस पर मंडराए बादल
हमने खोलीं छतरियां

उसने मांगी शरण
हमने दी काल-कोठरी

वह बुदबुदाती रही
कोलकाता
कोलकाता

फुटनोट
चली गई हमारे देश से
बाला तली हमारे देश से