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आवाजें / मंगलेश डबराल

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कुछ देर बाद

शुरू होंगी आवाज़ें


पहले एक कुत्ता भूँकेगा पास से

कुछ दूर हिनहिनाएगा एक घोड़ा

बस्ती के पार सियार बोलेंगे


बीच में कहीं होगा झींगुर का बोलना

पत्तों का हिलना

बीच में कहीं होगा

रास्ते पर किसी का अकेले चलना


इन सबसे बाहर

एक बाघ के डुकरने की आवाज़

होगी मेरे गाँव में ।


(रचनाकाल :1979)