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थूं-3 / रामेश्‍वर गोदारा ग्रामीण

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थूं माटी
म्हैं कुम्हार
थां मांय थरपिज्या
म्हारी कळपनांवां रा रंग-राग
मंड्या-मांडणा
रूप लिन्यौ अकूत आकरत्यां
पण स्यात
थूं नी जाणै
थां रै ई पाण-ताण
सधिया म्हारा हाथ
अर
अबार ई सीख्यौ है
गुढाळियां सूं उठनै
थड़ी करणौ
अधरै-अधरै पग धरणौ
आ म्हारी माटी
म्हैं थनै संवारूं
थूं म्हनै संवार।
म्हैं जाबक अणघड़ पाथर
थूं दूधां धोई धार
म्हैं थनै संवारूं
आव
थूं म्हनै संवार।