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हर सांस बंदी है यहाँ / रमा द्विवेदी

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कैसे करें उल्लास जब हर सांस बन्दी है यहां?
कैसे रचे इतिहास जब आकाश बन्दी है यहां?

अंकुर अभी पनपा ही था कि नष्ट तुमने कर दिया,
कैसे लेंगे जन्म जब गर्भांश बन्दी है यहां?
कैसे करें उल्लास जब हर सांस बन्दी है यहां?

सपने भी जब देखे हमने उनपे भी पहरे लगे,
कैसे पूरे होंगे जब हर ख्वाब बन्दी है यहां?
कैसे करें उल्लास जब हर सांस बन्दी है यहां?

सदियों से रितु बदली नहीं,अपनी तो इक बरसात है,
कैसे करें त्योहार जब मधुमास बन्दी है यहां?
कैसे करें उल्लास जब हर सांस बन्दी है यहां?

त्याग की कीमत न समझी त्याग जो हमने किए,
छीन लीन्हीं धडकनें पर,लाश बन्दी है यहां।
कैसे करें उल्लास जब हर सांस बन्दी है यहां?

कुछ कहने को जब खोले लब,खामोश उनको कर दिया,
कैसे करें अभिव्यक्त जब हर भाव बन्दी है यहां?
कैसे करें उल्लास जब हर सांस बन्दी है यहां?

खून की वेदी रचा कर तन को भी दफ़ना दिया,
कैसे जिएं? कैसे मरें? अहसास बन्दी है यहां।
कैसे करें उल्लास जब हर सांस बन्दी है यहां?