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चेहरे (2) / हरीश बी० शर्मा

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भाषा तेरी
भाषण मेरे
चेहरे पर हैं चेहरे
कौन दोस्त
किसे दुश्मन मानें
पहचानें पर संकट जानें
आस्तीन को कौन खंगाले
संकर हुए सपेरे