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एक किरदार – भीमा/ सजीव सारथी
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रोज सुबह जब वो देखता है,
अपने बच्चे की पीठ पर टंगा बस्ता,
तो उसकी छाती दो इंच फूल जाती है,
वह अपनी झुग्गी से लेकर,
किशना के स्कूल तक,
रोज पैदल ही उसे छोड़ने जाता है,
पूरे रास्ते किशना चुप रहता है,
और वो खुश हो हो कर
उसे समझाता रहता है,
“रोज का पाठ रोज याद करना,
मैडम जी की बात मानना,
जो समझ न आवे तो उठकर पूछना,
तू पूछता ही नहीं है कुछ”
यूँ भी उसक स्वर तेज है,
मगर उसकी आवाज़,
उस गली से गुजरते वक्त,
और तेज हो जाती है,
जहाँ कोठियां है,
बड़े बड़े रईसों की...