भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
ब्यूटीशियन / हरीश बी० शर्मा
Kavita Kosh से
आशिष पुरोहित (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 16:06, 9 सितम्बर 2011 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=हरीश बी० शर्मा |संग्रह=फिर मैं फिर से फिर कर आता /…)
मैं अनजाना था
जब लिख रहा था पहला कविताई शब्द
जाने कब वह कविता बन गई
वह अभिव्यक्ति थी मेरी
उसने बताया
और कवि कहने लगी
तक तक नहीं जानता था मैं यह सच
अब
वह जब भी मिलती है
एक कविता वैसी चाहती है
और मैं देना चाहता हूं
मेरी ताजा कृति
नहीं मिलती उसकी चाही कविता
अब वह मुझे ब्यूटीशियन कहने लगी है।
उसे क्या पता कविता क्या होती है।