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घाटी की लय / नंदकिशोर आचार्य

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झर-झर
झरता है निर्झर
जिस की गूँज वह पट है
जिस पर घाटी की लय बुनी है

मुझ को छाये है घनी छाँह जो
इसी लय की एक मुरकी है।

(1976)