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उतर गयी है झील / नंदकिशोर आचार्य
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उतर गयी है झील
सिमट गया गड्ढे में
सारा पानी।
सूख गयी मिट्टी की ये झुर्रियाँ
अभी तक अन्दर से गीली है
ज़रा-सा छूते ही
भुराभुरा रहीं।
(1988)