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ख्वाहिश / रजनी अनुरागी
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मेरी ये ख्वाहिश है
कि तेरी बाँहों मे बिखर जाऊँ
धड़कूँ तुझमें ऐसे जैसे दिल में धड़कन
मेरी ये ख्वाहिश है
कि तेरी खुशबू से सराबोर कर लूं अपना आँचल
और ये खुशबू सारे जग में फैलाऊँ
मेरी ये ख्वाहिश है
कि तुझमें ऐसे गुँथ जाऊँ
जैसे इन्द्रधनुष में इन्द्रधनुषी रंग
और उसका सारा सौंर्दय आसमान में बिखराऊँ
मेरी ये ख्वाहिश है
कि कहीं गहरे बस जाऊँ तेरे दिल में
तेरी आंखों के समंदर में खो जाऊँ
मेरी ये ख्वाहिश है
कि तेरे चेहरे के छलकते नूर को
सहर पर शबनम सी बिखेर जाऊँ
मेरी ये ख्वाहिश है
कि तेरे दिले-बेकरार का करार बन
काग़ज़ पर नज़्म सी उतर जाऊँ
मेरी ये ख्वाहिश है
कि तेरी उदास तन्हा ज़िन्दगी में
तबस्सुम की हिलोर सी ले आऊँ