भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
पत्थर / प्रभात कुमार सिन्हा
Kavita Kosh से
Prabhat kumar sinha (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 13:58, 19 सितम्बर 2011 का अवतरण
पत्थर नुकीले बने
पत्थर चले पेट के पक्ष में पशुओं के खिलाफ
पत्थर और नुकीले बने
पत्थर चले स्वार्थ के पक्ष में भाइयों के खिलाफ
एक पत्थर ने
इंकार किया नुकीला बनकर चलने से
आदमी ने वहां देवघर<ref>बाबा भोलेनाथ के मन्दिर के लिए प्रसिद्ध झारखंड का एक शहर </ref> बसा दिया
शब्दार्थ
<references/>