भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
एक पतंग / रमेश तैलंग
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 13:39, 22 सितम्बर 2011 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रमेश तैलंग |संग्रह=उड़न खटोले आ / रमेश तैलंग }} {{KKCa…)
भैया ! दे दे एक पतंग ।
थोड़ी सद्दी, थोड़ा मंजा
मेरी चरख़ी में दे डलवा
पेंच लड़ाऊँ तेरे संग ।
भैया ! दे दे एक पतंग ।
कल वाली फट गई हवा से,
लाऊँ अब मैं नई कहाँ से ?
दे दे न बस वही पतंग,
जिसका पीला-पीला रंग ।