भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
कब होगें वो फुर्सत में / राजेन्द्र जोशी
Kavita Kosh से
Neeraj Daiya (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 03:48, 28 सितम्बर 2011 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=राजेन्द्र जोशी |संग्रह= }} {{KKCatKavita}}<poem>एक दिन गया उन…)
एक दिन गया
उनसे मिलने
लम्बी कतार थी
बहुत व्यस्त थे वे
जल्दी में थे वे
मिलने वाले भी जल्दबाजी में
मै कतार में तो नहीं लगा
देख रहा था सारा नजारा
शायद वे भी
मुझे देख रहें होगें
कब होगें वे फुर्सत में ?