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यहां सब कुशल‍-मंगल है / मुत्तुलक्ष्मी

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समूचॆ फर्श पर झड़कर
सॊह रहॆ हैं
पिछवाड़े कॆ सहजन कॆ फूल
सहॆज‌ कर रखी
अल्प बचत की तरह‌
जिसे
खर्च खरने का मन न करता ;
आँगन भी है जॊ खुशनुमा रहता था
बच्चॊ की खिल खिलाहट सॆ
जूही की महक सॆ गमकता

गैर मौजूद व्यक्ति का नाम लिखा
नाम पट लटक रहा है किवाड़ पर‌
नम्बर उकॆरा द्वार
जॊह रहा है बाट सभी का

पतॆ गांव दॆनॆ कॆ दौर मॆ
नदारद है दॊनॊ ऒर
गमी खुशी की खबरॊ वाला
पत्राचार

यदि कौए
किसी दिन खाए
बलि अन्न की कृतज्ञता का
स्मरण करतॆ हुए
कॉव कॉव करे
उस घडी मे
संभव है यहाँ
किसी का पदचाप पड़े
धूल हटाते हुए
उस दिन
मुमकिन है
कोई चिट्टी पत्री आए फिर से

हो सकता है
कलमे फिर जी उठे और
करे कुशल‍ मंगल की पूछताछ

मंगल कामना करने मे
कहाँ है भूल ?
आइए , हम भी अभ्यास करे
'यहां सब कुशल‍ मंगल है' लिखकर‌
हस्ताक्षर करने का |

अनुवाद डॉ. एच. बालसुब्रहमण्यम‌