भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

आँखों की नमी / भुवनेश्वर

Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 14:54, 9 अक्टूबर 2011 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

आँखों की नमी एक अजीब अफ़वाह फैलाती है
पिघलते हुए दिल की
और पसीजती रोटी की...

पत्थर में एक हीरा जनप्रिय कहानी है
और पत्थर दिल में से
उपजती पसीजती नम आँखों वाली रोटी की...

ग़रीबी का मूसल मौसम का मौसम है ?
और सहनशीलता की शान्ति
नई सुबह की शुरूआत

अँग्रेज़ी से अनुवाद : रमेश बक्षी