भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

ना हरख है ना तिंवार अठै / सांवर दइया

Kavita Kosh से
Neeraj Daiya (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 15:21, 16 अक्टूबर 2011 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=सांवर दइया |संग्रह=आ सदी मिजळी मरै /...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

ना हरख है ना तिंवार अठै
आपां आया बेकार अठै

हवा धांसै अर थूकै खून
लागै सगळा बीमार अठै

सांस नै खावण लागी सांस
पड़सी किंयां अबै पार अठै

अड़ै तो अड़ो भलांई ऐढ़ा
मिलै कोनी कीं उधार अठै

अळघा ऊभा मुळकै सगळा
बेड़ो करसी कुण पार अठै