भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

म्हानै नुवां नीं जाण कलाळी / सांवर दइया

Kavita Kosh से
Neeraj Daiya (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 20:19, 16 अक्टूबर 2011 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=सांवर दइया |संग्रह=आ सदी मिजळी मरै /...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

 
(भवानीसिंह राठौड़ खातर)

म्हानै नुवां नीं जाण कलाळी
म्हैं जीवां थारै ताण कलाळी

जावै होश तो जावो भलांई
म्हैं राखां थारो माण कलाळी

म्हैं नटां कोनी तूं थकै कोनी
किण री टूटै अब बाण कलाळी

आ तो साव फीकी-सी लागै
पैलै तोड़ री छाण कलाळी

तूं नुंवी ऐ बोतल प्याला नुवां
हुई सांस नुंवी अटाण कलाळी