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सूरज चाटी आं धोरां री / सांवर दइया
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कविता: सूरज चाटी आं धोरां री/सांवर दइया------
सूरज-चाटी आं धोरां री
उकळै माटी आं धोरां री
सड़क चाली छोरी बतावै
दौरी घाटी आं धोरां री
धोरां बिच्चै घायल जात्री
बांधै पाटी आं धोरां री
तड़ाछ खा पड़्यो हिरण एक
आंख्यां फाटी आं धोरां री
बूंद पड़ै पसवाड़ो फोरै
मुळकै माटी आं धोरां री