भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

जिंदगी का जिंदगी से वास्ता जिंदा रहे / अशोक अंजुम

Kavita Kosh से
Dkspoet (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 00:35, 25 अक्टूबर 2011 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अशोक अंजुम |संग्रह= }} {{KKCatGhazal}} <Poem> जिंद...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

जिंदगी का जिंदगी से वास्ता जिंदा रहे
हम रहें जब तक हमारा हौसला जिंदा रहे

वक्त ने माना हमारे बीच रख दीं दूरियां
कोशिशें ये हों दिलों में रास्ता जिंदा रहे

ऐ मिरे दुश्मन तुझी ने दी मुझे जिंदादिली
मैं अगर जिंदा रहूं, तू भी सदा जिंदा रहे

प्यार से सुलझाइये, हल गुत्थियां हो जाएंगी
जब तलक संसार है ये फलसफा जिंदा रहे

मेरी कविता, मेरे दोहे, गीत मेरे और गजल
मैं रहूं या न रहूं मेरा कहा जिंदा रहे