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राजेश जोशी के लिए / राजा खुगशाल
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चिट्ठियों से धारण किए--
धैर्य के समेत
वक़्त ने फिर छिलके
उतार दिए
इतना प्यार
और इतनी घृणा
एक साथ जीने के लिए
कहाँ तक और
कितना धैर्य चाहिए--
मुनीर मियाँ !