भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
पुलिस अफ़सर / नागार्जुन
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 20:24, 28 अक्टूबर 2011 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=नागार्जुन |संग्रह=हज़ार-हज़ार बाह...' के साथ नया पन्ना बनाया)
जिनके बूटों से कीलित है, भारत माँ की छाती
जिनके दीपों में जलती है, तरुण आँत की बाती
ताज़ा मुंडों से करते हैं, जो पिशाच का पूजन
है अस जिनके कानों को, बच्चों का कल-कूजन
जिन्हें अँगूठा दिखा-दिखाकर, मौज मारते डाकू
हावी है जिनके पिस्तौलों पर, गुंडों के चाकू
चाँदी के जूते सहलाया करती, जिनकी नानी
पचा न पाए जो अब तक, नए हिंद का पानी