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ध्रुवतारा / पद्मजा शर्मा
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कल रात
तुम्हारे माथे पर
चमक रहा था धु्रवतारा
कलाई में चाँद
चेहरे पर सूरज का तेज
आँखों में उतरा था आकाश
तुम चल रही थी लहरों-सी
गुनगुनाती हुई वह गीत
जो मैं लिख रहा था
तुम्हें देखकर
कल रात।