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बाज़ार भी काकू / पद्मजा शर्मा

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काम भी काकू बदनाम भी काकू
डांट भी काकू फटकार भी काकू
घर भी काकू बाज़ार भी काकू
सुधार भी काकू बिगाड़ भी काकू

पौधों को पानी पिला काकू
गमलों को जरा फिरा काकू
गाड़ी में पैट्रोल भरवा काकू
रज़ाई की रूई पिनवा काकू
पानी का बिल भरवा काकू
बिजली-बिल सुधरवा काकू
बच्चे का स्कूल ले जा काकू
गैस की टंकी मंगवा काकू
रद्दी को बिकवा काकू
रोता बच्चा बहला काकू
रसोई में हाथ बँटा काकू
जाले थोड़े झड़का काकू

काग़ज़ की नाव मिट्टी में चला काकू

रूक काकू चल काकू
हँस काकू रो काकू
चुप काकू बोल काकू
रात हो गई सो काकू
सुबह हो गई जग काकू

हाँफ रहा काकू
दो जून रोटी के लिए
भाग रहा काकू

जीवन को बोझ की नाईं ढो रहा काकू
अब गया कि तब गया हो रहा काकू

हर किसी की हर बात
ज़रूरी नहीं मानना काकू
ज़रूरी है नीयत का पहचानना काकू
बहुत कुछ बाकी है जानना काकू
ज़रूरी नहीं ज्यों का त्यों स्वीकारना काकू

कोई मारे एक तो बदले में कस कर दो मारना काकू
जीवन से क्या हारना काकू
यह तेरा भागना काकू
यह तो सुंदर फूल, भार ना काकू
किसी भी किमत पर, हार ना काकू।