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ऐसा भी हो सकता है / बल्ली सिंह चीमा

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साजिश में वो खुद शामिल हो , ऐसा भी हो सकता है,
मरने वाला ही कातिल हो, ऐसा भी हो सकता है।

आज तुम्हारी मंजिल हूँ मैं, मेरी मंजिल और कोई,
कल को अपनी इक मंजिल हो, ऐसा भी हो सकता है।

साहिल की चाहत हे लेकिन, तैर रहा हूँ बीचों बीच,
मंझधारों में ही साहिल हो ,ऐसा भी हो सकता है।

तेरे दिल की धडकन मुझको लगे है अपनी अपनी सी,
तेरा दिल ही मेरा दिल हो , ऐसा भी हो सकता है।

जीवन भर भटका हूँ ‘बल्ली , मंजिल हाथ नहीं आई,
मेरे पैरों में मंजिल हो ऐसा भी हो सकता है।