भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

सदस्य:PDeep

Kavita Kosh से
PDeep (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 10:09, 8 नवम्बर 2011 का अवतरण (Mai tumhhare karan)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

Kya tum sachh ho ki, ye ddunia jhhith lagti hai. tumhare hi karan. ki mai jhuth ban gaya hun..