भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
प्रसिद्धी / अनीता अग्रवाल
Kavita Kosh से
Shmishra (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 13:12, 9 नवम्बर 2011 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अनीता अग्रवाल |संग्रह= }} <poem> प्रसिद...' के साथ नया पन्ना बनाया)
प्रसिद्धी आती है
बताकर
प्रेम आता है
निःशब्द
कभी आँखें भाषा बनती है
कभी भाषा को
आँखें चकित करती है
अन्तस्तल के साथ