भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

भूमिका / सिर पर आग / कैलाश गौतम

Kavita Kosh से
Dkspoet (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 17:15, 18 नवम्बर 2011 का अवतरण

यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

कैलाश गौतम कोई दुधमुहें कवि नहीं हैं कि उनका परिचय देना जरूरी हो| लेकिन जो कवि फन और फैशन से बाहर खड़ा हो उससे लोग परिचित होना भी जरुरी नहीं समझते| क्योंकि अक्सर लोगों का ध्यान तो सौंदर्यशास्त्र की बनी बनायी श्रेणियाँ खींचती हैं |कैलाश गौतम उस खांचे में नहीं अटते| वह खांचा उनके काम का नहीं है या वे उस खांचे के काम के नहीं| इसका सीधा मतलब है कि यह कवि अपनी कविताओं के लिये एक अलग और और विशिष्ट सौंदर्यशास्त्र की मांग करता है|

वरिष्ठ कथाकार प्रोफेसर दूधनाथ सिंह