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ख्वाब / विनोद पाराशर

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ख्वाब
तुम भी देखते हो
हम भी देखते हॆ।
तुम्हारे-ख्वाबों में हॆ-
दूघ पीता/अलसेशियन
पालतू कुत्ता,
दिन में-दस बार
साडियां बदलती
देशी जिस्म में
विदेशी बीबी
ऒर-
हमारी कब्र पर
एक के बाद एक
खडी होती
ऊंची अट्टालिकाएं।
हमारे ख्वाबों में हॆं-
मां के-
सूखे स्तन चिचोडता
बच्चा।
फटी धोती में
पूरे जिस्म को
ढापने की कोशिश करती
-एक युवती।
ऒर-घर बनाते-
बेघर
खुले आसमान के नीचे
रहने को मजबूर
कुछ मजदूर।