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पांचवौ फेरौ / अर्जुनदेव चारण
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म्हारै नीं रैयां
थूं लाइजै
दूजी
मती राखजे खाली
मकान
फोटू तौ धणी मोटी बात है
मन में ई
मती लाइजे म्हारौ ध्यान
थनै सोरौ राखण
पूरै होस हवास
करूं हूं ओ कौल
लौ
म्हैं
पांचवौ फेरौ लेवूं