भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
आधा है चंद्रमा, रात आधी / भरत व्यास
Kavita Kosh से
Dkspoet (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 12:11, 26 नवम्बर 2011 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=भरत व्यास |संग्रह= }} {{KKCatGeet}} <poem> आधा है ...' के साथ नया पन्ना बनाया)
आधा है चंद्रमा रात आधी
रह न जाए तेरी मेरी बात आधी, मुलाक़ात आधी
आधा है चंद्रमा...
आस कब तक रहेगी अधूरी
प्यास होगी नहीं क्या ये पूरी
प्यासा-प्यासा गगन प्यासा-प्यासा चमन
प्यासे तारों की भी है बारात आधी
आधा है चंद्रमा...
सुर आधा है श्याम ने बाँधा
रहा राधा का प्यार भी आधा
नैन आधे खिले होंठ आधे मिले
रही पल में मिलन की वो बात आधी
आधा है चंद्रमा...
पिया आधी है प्यार की भाषा
आधी रहने दो मन की अभिलाषा
आधे छलके नयन आधे छलके नयन
आधी पलकों की भी है बरसात आधी
आधा है चंद्रमा...