भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
अविनय अनुनय कोई / पंकज सिंह
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 23:47, 5 अगस्त 2008 का अवतरण
एक दृश्य ओझल हो गया जिसमें मेरा बेटा था
एक दृश्य गुम हो गया जिसमें मेरी माँ थी
कितनी अक्षौहिणी सेनाएं लिए आते हो जीवन
कितना रक्त चाहिए
कितना रक्त
एक आदमी से
होने दो उसे उतना-सा वह
कम से कम
जो उसे होना
(ही)
है ।
(रचनाकाल : 1980)