भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
इस लिए / नंदकिशोर आचार्य
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 14:40, 26 नवम्बर 2011 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=नंदकिशोर आचार्य |संग्रह=केवल एक प...' के साथ नया पन्ना बनाया)
सूख कर
जो झरते पत्ते
अपने में सिकुड़ जाते हैं
अपने में सिकुड़ जाना
मृत्यु है क्या
प्रेम क्या जीवन है
इस लिए !
2 अप्रैल 2010